18 September 2020 08:58 PM
भारत विश्व का एक अति महत्त्वपूर्ण देश है। इन दिनों विश्व और हमारा देश दोनों एक संवेदनशील और कठिन दौर से गुजर रहे हैं। कांग्रेस इस समय भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण विपक्षी दल है। यदि ऐतिहासिक स्तर पर देखा जाए तो आजादी से पहले व आजादी के बाद लगभग एक शताब्दी तक वह देश का प्रमुख राजनीतिक दल रहा है।
कांग्रेस के नेतृत्व में भारत ने सैद्धांतिक तौर पर जाति व धर्म, लिंग व नस्ल के भेदभाव समाप्त कर समता आधारित लोकतंत्र की राह अपनाई। कांग्रेस के नेतृत्व में अनेक विसंगतिपूर्ण विचार से त्रस्त समाज में भेदभाव मिटाने व सामाजिक समता, आर्थिक समता की ओर बढ़ने की विचारधारा को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया गया। इस राह में अनेक बाधाएं आईं। कांग्रेस ने अनेक बाधाओं का साहस से सामना किया। पर कुछ गलतियां कांग्रेस से भी हुईं। कुछ कमजोेरियां कांग्रेस में भी आईं। कुछ अन्य कारणों से भी प्रतिकूल माहौल बना। कांग्रेस को सत्ता छोड़ विपक्ष में आना पड़ा।
अब इस समय यह कांग्रेस के लिए भी बहुत जरूरी है, व यह देश में मजबूत विपक्ष के दृष्टिकोण से यह राष्ट्रीय हित में भी जरूरी है, कि कांग्रेस की आंतरिक एकता बनी रहे। कठिन दौर में कई समस्याएं उभरती हैं, उन पर अलग दृष्टिकोण सामने आते हैं, पर कांग्रेस के सभी नेताओं व सदस्यों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि अपनी समस्या-निवारण व निर्णय प्रक्रियाओं को वे लोकतांत्रिक तो जरूर बनाएं पर साथ में एकता जरूर बनाए रखें। कठिन समय में एकता बनाए रखनी है, संकीर्ण स्वार्थों को हावी नहीं होने देना है व देश तथा दल के हितों को सबसे ऊपर रखकर ही काम करना है - इस बुनियादी सोच को अपना कर ही सब कार्यवाहियां होनी चाहिए। यदि कांग्रेस इस तरह से कार्य करती है तो उसे भारतीय नागरिकों की व्यापक सहानुभूति मिलेेगी जिसकी इस कठिन दौर में बहुत जरूरत है। यह सहानुभूति कुछ हद तक तो कांग्रेस केे इतिहास के कुछ शानदार पृष्ठों से जुड़ी है व कुछ हद तक इस सोच से कि देश को एक मजबूत विपक्ष चाहिए।
इस तरह की सोच के बहुत से भारतीय नागरिक हैं जो चाहे कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं पर जो इस समय दिल से चाहते हैं कि कांग्रेस पहले अपनी एकता के आधार पर मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाए व फिर समय आने पर एक सशक्त, विश्वसनीय विकल्प राष्ट्रीय चुनावों में प्रस्तुत करे। इन नागरिकों की सहानुभूति कांग्रेस के साथ है पर इस सहानुभूति को बनाए रखने के लिए यह भी जरूरी है कि कांग्रेस अपनी एकता को मजबूत करे व कभी विवादों का हल राष्ट्रीय हित व पार्टी के हितों की ऊपर रखकर करे, संकीर्ण स्वार्थों को हावी न होने दे। यह ऐसी जिम्मेदारी है जो कांग्रेस के सभी नेताओं को निभानी चाहिए। सबसे जरूरी बात है कि जो निर्धन वर्ग व किसानों के मुद्दे हैं, जो विकास व पर्यावरण के बड़े सवाल है, विदेश नीति व अमन-शांति के सवाल हैं उन पर सरकार की नीतियों की समीक्षा के साथ कांग्रेस को स्पष्ट व वैकल्पिक नीतियां भी लोगों के सामने रखनी चाहिए।
देश कठिन दौर से गुजर रहा है। इस समय व आगे के लिए देश का सुलझा हुआ कार्यक्रम क्या होना चाहिए? सभी महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट सोच क्या होनी चाहिए? इस तरह के सवालों पर स्पष्ट व सिद्धांत आधारित सोच देश के सभी नागरिकों के सामने कांग्रेस को रखनी चाहिए। इस सोच पर कांग्रेस में व्यापक सहमति बनानी चाहिए व सभी सदस्यों को इसकी अच्छी समझ बतानी चाहिए ताकि वे इसका सही प्रचार-प्रसार कर सके। अगला कदम यह है कि अन्य मित्र राजनीतिक दलों से इस कार्यक्रम पर बातचीत कर अधिक व्यापक सहमति का एक कार्यक्रम बनाने के प्रयास भी करने चाहिए।(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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