20 October 2020 03:29 PM
-बसंत पांडे, हल्द्वानी, उत्तराखंड
देश की अर्थव्यवस्था में जीडीपी का सर्वाधिक प्रतिशत कमाने वाली कृषि को लेकर जहां एक तरफ देश भर में राजनीति चरम पर है, वहीं दूसरी तरफ छोटी-छोटी जोतों के मालिक यानी छोटे स्तर के करोड़ों किसान परेशान हैं। सरकारी नीतियों के कारण उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया है। अब उनके सामने खुद को जीवित रखने की चुनौती आ गई है। कहीं बाढ़, कहीं अकाल तो कहीं मौसम के बदलते मिजाज ने पहले ही किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया है। सितम यह है कि उनके हितों की बात करने वाली सरकारें भी उन्हें तन्हां छोड़ चुकी है। इसकी एक बानगी उत्तराखंड के सबसे बड़े गांव बिन्दुखत्ता के किसान हैं। जो कुदरत की मार के साथ-साथ कृषि संबंधी सरकार की नीतियों से भी हताश हो चुके हैं।
सरकार के नियमों के अनुसार केवल खाता-खतौनीधारी किसान की उपज ही सरकारी खरीद के नियम के तहत खरीदे जाएंगे। इसके चलते देश भर के छोटी जोत के कई खत्तावासी किसान अपनी उपज निजी हाथों में औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर है।
नैनीताल जिले के लालकुंआ तहसील स्थित हजारों बिंदुखत्तावासी किसान धान, सोयाबीन गेहूं व अन्य कृषि उत्पादनों की सरकारी खरीद योजना के लाभ से वंचित है। इसकी आड़ में मिनी फाइनेंस और बनिया यहां के किसानों को लूट रहे हैं। उनकी किस्मत पूरी तरह बिचैलियों के रहमो करम पर निर्भर हो चुकी है। इस क्षेत्र में सभी छोटी जोत के किसान हैं जिनके ऊपर ‘‘बचाएगा क्या और बोएगा क्या‘‘, वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। क्षेत्र में खरीफ की प्रमुख फसल धान की प्रति कुंतल लागत 2000 रुपए आती है परंतु बिचैलिया सिर्फ 1200 से 1300 के बीच खरीद रहे हैं जबकि किसान के सिर पर बीज, खाद, जुताई आदि के निमित्त बाजार से लिए गए ऋण की अदायगी भी शेष है। इससे वह हर साल कर्ज में लगातार डूबता जा रहा है। उसके लिए खेती की लागत भी पूरी करना कठिन होता जा रहा है।
बिंदुखत्ता में मिनी फाइनेंस के नाम पर बहुत सारे बड़े इजारेदार (पूंजीपति) व साहूकार आ गए हैं जो अनाप-शनाप चक्रवृद्धि ब्याज पर कर्ज से यहां के गरीब किसानों को लूट रहे हैं। लिए गए ऋण की समय पर अदायगी नहीं कर पाने वाले गरीब किसान की जमीन को हड़प रहे हैं। विडंबना यह भी है कि यहां किसान के पास कोई ऐसा मंच भी नहीं है जहां वह अपनी व्यथा कह सके या संकट के समय उसे मदद मिल सके। क्षेत्र के प्रमुख जनप्रतिनिधि भी किसानों की मांग पर मुंह बंद किए हैं। यह वही गांव है जहां पंडित नारायण दत्त तिवारी की सरकार के समय विद्युतीकरण, पक्की सड़कें, राजकीय इंटर काॅलेज, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, राजकीय आइटीआइ, सरकारी सस्ता गल्ला, पशु चिकित्सालय, बैक व डाकघर खुलवाए गए थे। यही नहीं यहां पर रबी व खरीफ की फसलों की सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सरकारी कांटे भी लगाए जाते थे।
इस संबंध में स्थानीय खत्तावसी पूर्व सैनिक किसान शंकर सिंह चुफाल का कहना है कि रबी हो या खरीफ की फसल, दोनों फसलों को हमें बिचैलिये के हाथों औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है। वर्तमान में धान की खरीद के लिए निजी बिचैलियों द्वारा तय कीमत 1200 रुपए प्रति कुन्तल है जोकि सरकारी मानक से प्रति कुन्तल 600 रुपए कम है। यदि हम यहां से कहीं भी बेचने जाते है तो हमारा धान नहीं खरीदा जाता है। केवल राइस मिल के व्यापारी ही खरीद रहे है। एक अन्य किसान जीत सिंह ठकुन्ना ने बताया कि खेती किसानी उनके लिए अब घाटे का सौदा साबित होता जा रहा है। इससे उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। जिससे खेती के प्रति उनकी उदासीनता बढ़ने के चलते वह जमीन बेचने पर मजबूर है। किसान गोपाल सिंह कन्याल के अनुसार अब खेती नाममात्र की रह गई है, जो अनाज उगाते हैं उनकी लागत भी नहीं निकल रही है। प्रताप सिंह बिष्ट ने कहा कि यदि सरकारी क्रय केंद्र नहीं खोलती है तो वह इन बिचैलियों पर लगाम कसे ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य गरीब किसानों मिल सकें।
दलित वर्ग से आने वाले किसान शंकर राम ने कहा कि बिचैलिये की वजह से अनाज का वाजिब दाम भी नहीं मिल पा रहा है और लागत को पूरा करने के लिए ऋण लेना पड़ता है, इस ऋण के लिए सरकारी बैंक मना कर देती है। इसलिए मजबूरीवश निजी फाइनेंर्सर से उचित ब्याज दर पर ऋण लेने के लिए हम मजबूर है। इस विषय में क्षेत्रीय विधायक नवीन दुमका ने कहा कि भूमि के दस्तावेज न होने के चलते उक्त क्षेत्र में सरकारी खरीद नहीं हो सकती है। गत वर्ष रबी की प्रमुख फसल गेहूं के समय कांटे लगाए गए थे परंतु कोई भी किसान गेहूं लेकर कांटे पर नहीं आया। वहीं क्षेत्रीय खाद्य निरीक्षक कुमाऊं मंडल ललित मोहन रयाल ने कहा कि भारत सरकार ने 4-5 वर्ष पूर्व सरकारी खरीद के लिए खाता-खतौनी अनिवार्य कर दी जिसके कारण बिंदुखत्ता में अब सरकारी कांटे नहीं लग रहे हैं। इस नीति से यहां के किसानों के सम्मुख बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है।
बहरहाल, एक तरफ केंद्र सरकार देश भर के किसानों के हितों की बात करते हुए एक नहीं बल्कि तीन तीन नए कानून बनाती है, जिसमें दावा किया जाता है कि इससे सभी तरह के किसानों को लाभ होगा। लेकिन दूसरी ओर बिंदुखत्ता के किसानों की परेशानी को देख कर लगता है कि किसी भी योजना को केवल लागू कर देने से समस्या का समाधान नहीं हो जाता है बल्कि उसे जमीनी स्तर पर क्रियांवित भी करवाना भी आवश्यक है। यदि केंद्र और राज्य सरकार ने बिंदुखत्ता के किसानों की भूमि व उनकी फसल खरीद का उचित प्रबंध नहीं किया तो इससे यहां के किसानों को गंभीर संकटों का सामना करना पड़ सकता है। (चरखा फीचर)
RELATED ARTICLES
भारत अपडेट डॉट कॉम एक हिंदी स्वतंत्र पोर्टल है, जिसे शुरू करने के पीछे हमारा यही मक़सद है कि हम प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी परोस सकें। हम कोई बड़े मीडिया घराने नहीं हैं बल्कि हम तो सीमित संसाधनों के साथ पत्रकारिता करने वाले हैं। कौन नहीं जानता कि सत्य और मौलिकता संसाधनों की मोहताज नहीं होती। हमारी भी यही ताक़त है। हमारे पास ग्राउंड रिपोर्ट्स हैं, हमारे पास सत्य है, हमारे पास वो पत्रकारिता है, जो इसे ओरों से विशिष्ट बनाने का माद्दा रखती है।
'भारत अपडेट' शुरू करने के पीछे एक टीस भी है। वो यह कि मैनस्ट्रीम मीडिया वो नहीं दिखाती, जो उन्हें दिखाना चाहिए। चीखना-चिल्लाना भला कौनसी पत्रकारिता का नाम है ? तेज़ बोलकर समस्या का निवारण कैसे हो सकता है भला? यह तो खुद अपने आप में एक समस्या ही है। टीवी से मुद्दे ग़ायब होते जा रहे हैं, हां टीआरपी जरूर हासिल की जा रही है। दर्शक इनमें उलझ कर रह जाता है। इसे पत्रकारिता तो नहीं कहा जा सकता। हम तो कतई इसे पत्रकारिता नहीं कहेंगे।
हमारे पास कुछ मुट्ठी भर लोग हैं, या यूं कहें कि ना के बराबर ही हैं। लेकिन जो हैं, वो अपने काम को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण मानने वालों में से हैं। खर्चे भी सामर्थ्य से कुछ ज्यादा हैं और इसलिए समय भी बहुत अधिक नहीं है। ऊपर से अजीयतों से भरी राहें हमारे मुंह-नाक चिढ़ाने को सामने खड़ी दिखाई दे रही हैं।
हमारे साथ कोई है तो वो हैं- आप। हमारी इस मुहिम में आपकी हौसलाअफजाई की जरूरत पड़ेगी। उम्मीद है हमारी गलतियों से आप हमें गिरने नहीं देंगे। बदले में हम आपको वो देंगे, जो आपको आज के दौर में कोई नहीं देगा और वो है- सच्ची पत्रकारिता।
आपका
-बाबूलाल नागा
एडिटर, भारत अपडेट
bharatupdate20@gmail.com
+919829165513
© Copyright 2019-2025, All Rights Reserved by Bharat Update| Designed by amoadvisor.com