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Friday, April 19, 2024
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संविधान का मूल मंत्रः न्याय, स्वतंत्रता एवं समानता

हमारा देश आजाद हुआ उन दिनों दुनिया भर में मानव अधिकारों की बात हो रही थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसंबर 1948 को मानव अधिकारों की पहली घोषणा की थी। इसका मतलब इंसान होने के नाते मिलने वाले जरूरी इंसानी हक।
देश के संविधान निर्माताओं ने भी देशवासियों को ये अधिकार देने का वादा किया। 26 नवंबर 1949 को वादा किया कि देशवासियों को स्वतंत्रता, समानता, न्याय और सम्मान से जीने का हक देंगे।

26 जनवरी 1950 को ये हक देश के नागरिकों को दे दिए गए। संविधान में इन अधिकारों के बारे में विस्तार से लिखा है। इन अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी देश के सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट को दी गई।

संविधान में लिखी सारी बातों को बिंदुवार लिखा गया है। हर बिंदु को एक नंबर दिया गया है। इन बिंदुओं को अनुच्छेद कहा जाता है। नागरिकों के मूल अधिकारों की बातें अनुच्छेद 14 से 32 तक में लिखी गई हैं। अधिकारों के हनन की शिकायत करते समय बताना होता है कि किस अनुच्छेद का उल्लंघन हुआ। इसीलिए इनके बारे में जानना बेहद जरूरी है।

समानता का अधिकार: समानता का अधिकार 14 से 18 अनुच्छेद में लिखा हैः- अनुच्छेद 14-कानून के सामने सब बराबर। अनुच्छेद 15- धर्म, वंश जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। अनुच्छेद 16-सबको बराबर अवसर मिलेंगे। अनुच्छेद 17-छूआछुत का अंत होगा। 1955 में इस पर अलग कानून भी बन गया है। अनुच्छेद 18- ऐसी उपाधियां नहीं दी जाएंगी जिससे समाज में ऊंच नीच पैदा हो।

स्वतंत्रता का अधिकार: संविधान में नागरिकों की स्वतंत्रता को बहुत खास माना गया है। अनुच्छेद 19 से 22 तक इन स्वतंत्रताओं को लिखा है। सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद 19 है। अनुच्छेद 19- बोलने की आजादी, बिना हथियार समूह बनाने की आजादी, संगठन बनाने की आजादी, देशभर में घूमने की आजादी और मन पसंद काम करने की आजादी।अनुच्छेद 20- अपराध होने पर संरक्षण का हक। अनुच्छेद 21- सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। अनुच्छेद 21 क- शिक्षा का अधिकार। यह 2010 में जोड़ा गया। 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है। अनुच्छेद 22- गिरफ्तारी व पकड़कर रखने में मनमानी नहीं होगी। मानव गरिमा का हमेशा ध्यान रखा जाएगा।

शोषण से मुक्ति का अधिकार: अनुच्छेद 23, 24 में इस अधिकार का विवरण दिया गया है। मानव का व्यापार यानि तस्करी या खरीद फरोक्त नहीं होगी। छोटे बच्चों से श्रम नहीं करवाया जाएगा। दास प्रथा नहीं रहेगी। कारखानों में बच्चों से काम नहीं करवाया जाएगा।

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद 25 से 28 तक इस अधिकार को लिखा गया है। अनुच्छेद 25- व्यक्तिगत रूप से किसी भी धर्म को मानने की आजादी। उस धर्म का प्रचार करने की आजादी। अनुच्छेद 26- धर्म के आधार पर संस्था, संगठन बनाने का अधिकार। अनुच्छेद 27- अपनी संपत्ति/आय पर कर से छूट है। अनुच्छेद 28- सरकारी स्कूलों और सरकार से अनुदान प्राप्त स्कूलों में कोई भी धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। इस अधिकार का मूल मंत्र है कि धर्म व्यक्तिगत मामला है। किसी भी धर्म के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।

सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार: अनुच्छेद 29 से 31 तक इस अधिकार का विवरण है। अनुच्छेद 29-अल्पसंख्यकों को स्वतंत्रता से जीने का अधिकार। अनुच्छेद 30- अपनी रुचि की शिक्षण संस्था खोलने का अधिकार। अनुच्छेद 31- संपत्ति का अधिकार था जो अब हटा दिया है। अब यह मूल अधिकार नहीं है।

संविधान द्वारा मूल अधिकारों की सुरक्षा का हक: धारा 32 में यह लिखा है। यह सबसे महत्वपूर्ण है। अगर मूल अधिकारों का उल्लंघन हो तो न्यायालय में जा सकते हैं। धीरे-धीरे मूल अधिकारों का विस्तार हुआ है उसमें कई बातों पर निरंतर चर्चा होती रही है जैसे-प्रेस की आजादी। सूचना का अधिकार, निजता का अधिकार, स्वच्छ, स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार, कोर्ट तक पहंुच का अधिकार, रोजगार का अधिकार आदि।

अब भीड़ से सुरक्षा का अधिकार, इज्जत के नाम पर हत्या को रोकना आदि भी अधिकारों के दायरे में लाए जाने की तैयारी चल रही है। हम अपने हकों को पहचानें। सरकारें और पुलिस, प्रशासन हकों को छीनने का प्रयास करें तो उसका शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करें। चुप नहीं बैठें।

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