
-शशि दीप मुंबई
दिल्ली प्रेस क्लब के इतिहास में पहली बार एक महिला का अध्यक्ष चुना जाना पत्रकारिता जगत में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत माना जा रहा है। वर्षों से पुरुष-प्रधान रहे इस प्रतिष्ठित संस्थान में महिला नेतृत्व का उभार न केवल लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि मीडिया संस्थानों में बदलते सामाजिक सोच को भी दर्शाता है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना के 68 साल बाद स्वतंत्र पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोटी ने अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होकर अपने सिर पहली महिला अध्यक्ष का ताज हासिल किया है, उनकी शानदार जीत ने सारे समीकरण बदल दिए हैं।
भारतीय इतिहास में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में संगीता बरुआ किे निर्वाचित होने से एक नए अध्याय का श्री गणेश हुआ है जिसमें एक ओर निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर महिला पत्रकारों की आवाज बुलंद होने की प्रबल संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। महिला पत्रकारों के मुद्दों और चिंताओं को उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इससे महिला पत्रकारों की आवाज बुलंद होगी और उनकी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
संगीता बरुआ का अनुभव और ज्ञान महिला पत्रकारों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। वे महिला पत्रकारों को मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं और उन्हें अपने कैरियर में आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं।
संगीता बरुआ की अध्यक्षता महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे महिला पत्रकारों को अपने अधिकारों और सामथ्र्य का एहसास होगा और वे अपने कैरियर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगी। एक अनुभवी और निष्पक्ष पत्रकार के रूप में, संगीता बरुआ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया को निष्पक्ष पत्रकारिता के मूल्यों को बढ़ावा देने और बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।
संगीता बरुआ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के माध्यम से पत्रकारिता के उच्च मानकों को बढ़ावा दे सकती हैं और पत्रकारों को उनके काम में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। इसके अलावा, संगीता बरुआ की अध्यक्षता में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देने और पत्रकारों के हितों की रक्षा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे मीडिया की विश्वसनीयता और प्रभाव बढ़ सकता है। (लेखिका प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स पंजीकृत की राष्ट्रीय संगठन महासचिव हैं)
