-बाबूलाल नागा
राजस्थान के झालावाड़ जिले के जावर थाना क्षेत्र में 4 जुलाई 2024 को ऑनर किलिंग का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। प्रेम विवाह से नाराज लड़की के परिजनों ने पहले उसका अपहरण किया। बाद में उसके साथ मारपीट की और मौत के घाट उतार दिया। मृतका के पति की शिकायत के बाद बारां जिले की हरनावदा पुलिस ने मृतका के परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। युवक रवि भील और युवती शिमला कुशवाह ने परिजनों की मर्जी के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह किया था। विवाह के बाद से ही शिमला के परिजन दोनों से नाराज चल रहे थे। विवाह के बाद रवि और शिमला बारां जिले के हरनावदा में रह रहे थे। 4 जुलाई को शिमला बैंक से पैसे निकालने के बहाने बाजार गई हुई थी। इस दौरान उसके परिजनों ने उसे अकेला पाकर पहले उसका अपहरण कर लिया। बाद में उसे गांव लाकर उसके साथ जमकर मारपीट की। इससे शिमला की मौत हो गई।
हमारा देश अभी भी जाति-धर्म, जाति पंचायतों के गैर संवैधानिक और अमानवीय फैसलों के साए में जी रहा है। देश में जातिगत धारणाएं बलवती होती जा रही है। ‘ऑनर किलिंग‘ के नाम पर युवा युगल जोड़ियों को मारने की घटनाओं का होना अत्यंत शर्मनाक है। झूठी शान के लिए की जाने वाली ऑनर किलिंग बर्बर, सामंती परंपरा वाली और राष्ट्र के लिए एक कलंक है। अधिकांश ऑनर किलिंग के मामले तथाकथित उच्च और नीची जाति के लोगों के प्रेम संबंध के मामले में देखने को मिले हैं। कभी अंतरजातीय विवाह, कभी सगोत्र में विवाह और कभी सवर्णों से विवाह के कारण परिवार अपनी नाक बचाने के लिए ऐसे युवा लड़के-लड़कियों को मौत के घाट उतार देते हैं। इससे पहले कि मामला पुलिस तक पहुंचे, जाति पंचायत ही प्रेमी युगलों के खिलाफ फरमान जारी कर देती है। कि अपनी इज्जत के लिए अपने ही अपनों की जिंदगी खत्म कर रहे हैं। हत्या करने वालों में पिता, चाचा, भाई और सगे अन्य रिश्तेदार शामिल हैं।
आज ऑनर किलिंग के बढ़ते मामले कानून के राज को चुनौती देने वाले बन चुके हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2014 से 2021 तक रिपोर्ट की गई ऑनर किलिंग की संख्या 492 थी। लेकिन ये आंकड़े रिपोर्ट किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं और यह संख्या बताई गई संख्या से कहीं अधिक हो सकती है। इस तरह की एकाध घटनाएं होतीं तो उसकी भत्र्सना भर की जा सकती थी लेकिन घटनाओं की पुनरावृत्ति के चलते अब ये मामले कानून के लिए बेहद खतरनाक हो चुके हैं। ‘सम्मान बचाने के लिए‘ हत्याओं से जुड़े मसले अब तक हरियाणा की खाप पंचायतों में ही देखे जाते रहे हैं, जहां जातिगत पंचायतें कानून व्यवस्था को धता बताते हुए इस तरह के फैसले सुनाती रही हैं। लेकिन अब केवल हरियणा राज्य में ही नहीं होता देश के अन्य राज्यों से भी जाति और गोत्र के बंधन या परिपाटी से परे जाकर विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों की हत्याएं कर दी जाती हैं। इन हत्याओं के पीछे परिवार, जाति पंचायत और कट्टरपंथी संगठनों का दबदबा बना रहा है।
ऑनर किलिंग के मामले में एक परिवार में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के साथ अधिक अत्याचार किया जाता है, जो दर्शाता है कि कानून के समक्ष कोई समानता नहीं है। एक महिला की हत्या की जाती है जो लैंगिक उल्लंघन है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 क्रमशः स्वतंत्रता के अधिकार और जीवन के अधिकार से संबंधित हैं। ऑनर किलिंग के मामले में व्यक्ति के दोनों अधिकारों का उल्लंघन होता है। किसी व्यक्ति को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। किसी व्यक्ति को किसी की स्वतंत्रता और जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1857 के अनुसार- प्रत्येक नागरिक धारा 3 में परिभाषित 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद वयस्क हो जाएगा। यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार द्वारा तय की गई शादी को स्वीकार नहीं कर रहा है, तो किसी को भी परिवार के अपमान के नाम पर उस व्यक्ति को मारने का कोई अधिकार नहीं है। किसी तरह से ऑनर किलिंग हत्या के समान ही है।
प्रेम प्रसंग से जुड़े मामलों को लेकर जिस तरह से हत्याएं हो रही हैं उससे दिमाग में कई सवाल उपजते हैं। क्या सम्मान के नाम पर होने वाली हत्याएं वास्तव में इतने बड़े पर होती हैं? उस वक्त उन माता-पिता की मनोस्थिति क्या होगी जब वो झूठी इज्जत के खातिर अपने ही बच्चों का कत्ल करने को तैयार हो जाते हैं? ऐसे मामलों के वक्त आखिर किस तरह से जाति पंचायतें, रिश्तेदार संबंधित परिवारों या लोगों की निजी जिंदगी को नियंत्रित करती है? प्रेमी युगलों की ओर से सुरक्षा की गुहार के बाद भी पुलिस, प्रशासन उन्हें बचाने का प्रयास क्यों नहीं करता? क्या यह मान लिया जाए कि पुलिस इस तरह की बर्बर हत्याओं को रोक नहीं सकती? सवाल उठता है कि जहां ऐसी वारदात होती है वहां के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की क्या जवाबदेही बनती है? बहरहाल, सर्वाधिक दुखद पहलू तो यह है कि हमारे देश की सरकारें भी ऐसी वारदातों को रोकने में नाकाम हो रही है। (लेखक भारत अपडेट के संपादक हैं)