–प्रसन्नजीत जवाजा (लेखक स्वतंत्र पत्रकार व राजस्थान सामाजिक सुरक्षा पेंशन परिषद से जुड़े हैं)
राजस्थान राज्य में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के दायरे में लगभग एक करोड़ लाभार्थी आते हैं जिसमें बुजुर्ग, दिव्यांग, विधवा, तलाकशुदा, एकल नारी और विशेष योग्यजन शामिल हैं। अब इस वर्ग में एक मांग जोर पकड़ने लगी है कि हम सबको सामाजिक सुरक्षा पेंशन परिषद के गठन करवाना है ताकि पेंशन की बढ़ोतरी हो। उसमें केंद्र का अंशदान भी राज्य के बराबर हो। निश्चित समय व दिनांक को पेंशन मिले। पेंशन में आ रही समस्याओं का समय पर निराकरण हो। समय-समय पर सरकार के साथ पेंशन को लेकर बनने वाली नीतियों पर संवाद हो। पेंशन के साथ ही सम्मानजनक बुढ़ापे में आराम के लिए पेंशनधारियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, ओल्ड एज केयर होम, मनोरंजन के साधन और अन्य सुविधाओं का भी लाभ मिले। यह तभी संभव है जब पूरे राज्य के पेंशनधारी एक बैनर के नीचे आकर पेंशन परिषद का गठन की मांग करे ताकि लोक कल्याणकारी राज्य में हम केवल वोट देने तक ही सीमित ना हो, उसमें इस वर्ग का कल्याण भी हो, यह जरूरी है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशनधारी वर्ग ने पिछले कुछ समय से यह महसूस किया है कि पेंशन का लाभ उन्हें समय पर और एक निश्चित दिनांक को मिले। वे बताते हैं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून बना, यह बहुत अच्छी बात है पर हम चाहते हैं कि समय-समय पर सरकार के साथ संवाद हो। हम सरकार से यह कह सके कि सरकार हमारी पेंशन को वर्तमान महंगाई और न्यूनतम मजदूरी के साथ जोड़कर उसे बढ़ाएं। हम यह भी चाहते हैं कि पिछले लंबे समय से केंद्र सरकार के द्वारा उसके हिस्से की राशि में किसी प्रकार की कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। अतः वह भी राज्य सरकार के बराबर पेंशन में अपना अंशदान दे ताकि लाभार्थियों को एक सम्मानजनक पेंशन और बुढ़ापे में आराम मिले।
बुजुर्ग, विधवा, तलाकशुदा, एकल नारी और विशेष जनयोग्य बताते हैं कि उन्हें समय-समय पर सरकार की तरफ से पेंशन सत्यापन, ई-केवाईसी प्रमाण पत्र ऑनलाइन करवाने के लिए संदेश और फोन कॉल की सुविधा भी मिलनी चाहिए ताकि जो वर्ग पढ़ सके वह संदेश के माध्यम से और बाकी वर्ग फोन के माध्यम से अपने पेंशन सत्यापन की जानकारी समय पर प्राप्त कर अपना सत्यापन करवा सके।
लंबे समय से अपनी पेंशन की बाट जो रहे वंचित लाभार्थी और जो सत्यापन करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के सैकड़ों बार चक्कर लगाते-लगाते मर चुके हैं, उनके परिवार की भी यही मांग है कि अब हमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन परिषद का गठन करना ही होगा। हम सबको मिलकर एक संगठन के रूप में सरकार के समक्ष प्रस्तुत होना होगा ताकि हमारी बकाया पेंशन और उसका एरियर मिले और कानून में सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता भी स्पष्ट हो। हमारा राज्य लोक कल्याणकारी राज्य के तौर पर अन्य राज्यों के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर सके।
पेंशन लाभार्थियों का कहना है कि अब हम केवल वोट देने तक ही सीमित नहीं रहेंगे। हम अपने हक अधिकार के लिए संगठित होकर रहेंगे ताकि आगामी समय में हर स्तर पर हमारी बात को सुना जाए। राजस्थान सरकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून में शामिल कर हमें मजबूत सुरक्षित सामाजिक सुरक्षा प्रदान करे ताकि बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग, तलाकशुदा, एकल नारी और विशेष जनयोग्य को सम्मानजनक जीने का अधिकार प्राप्त हो।
पेंशन सत्यापन की प्रक्रिया सरल हो
जवाजा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सुरडीया में सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर पिछले 1 वर्ष से कार्य कर रही दसवीं पास 35 वर्षीय दिव्यांग डाली देवी कहती है कि उनकी ग्राम पंचायत में पेंशनधारी 976 हैं। हम संपूर्ण सत्यापन के लिए लगातार ग्राम पंचायत में काम कर रहे हैं ताकि ग्राम पंचायत को मॉडल ग्राम पंचायत बनाई जा सके। सभी का पूर्ण सत्यापन हो और उनको योजना का लाभ मिले। वर्ष 2023 के मध्य में राज्य सरकार के साथ सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून के संवाद कार्यक्रम में भाग लेने के बाद यह महसूस किया की पेंशन का लाभ लेने के लिए उसकी प्रक्रिया सरल हो। पेंशन सत्यापन के लिए ज्यादा चक्कर न लगाने पड़े। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर ही सत्यापन प्रक्रिया आसान की जाए। खासकर दिव्यांग पेंशनधारी वर्ग यह चाहता है कि उनको पेंशन सत्यापन करवाने, साथ ही दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने और उसको ऑनलाइन करवाने में बहुत तकलीफ होती है। वह आगे बताती हैं कि पेंशन के लिए दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाना और उसे ऑनलाइन करवाना पंचायत स्तर पर ही होना चाहिए ताकि जल्द उन्हें पेंशन का लाभ मिल सके और यह सब तभी संभव है जब पेंशन परिषद का गठन हो सके।
सूचना एवं रोजगार अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे कहते हैं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून बना यह बहुत खुशी की बात है। अब इसके आगे सामाजिक सुरक्षा पेंशन परिषद का गठन होना ही चाहिए ताकि राज्य सरकार के इस कानून का लाभ समय पर उसे वर्ग को मिले और वह लाभ निश्चित समय और दिनांक को मिले। क्योंकि पेंशनधारी राज्य में लगभग एक करोड़ हैं तो संवैधानिक तौर पर लोक कल्याणकारी राज्य में सरकार की उनके प्रति जवाबदेही बनती है जिसके चलते पेंशन परिषद और सरकार के बीच में समय-समय पर संवाद हो। पेंशन में आ रही समस्याओं को समय रहते ही निस्तारण किया जा सके। यह तभी हो सकता है जब समस्त पेंशनधारी संगठित होकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन परिषद का गठन करे।
हमारा पैसा हमारा हिसाब की आवाज को बुलंद करने वाली सुशीला देवी बताती है कि अब वक्त आ गया है कि इस वर्ग को भी समय पर अपनी पेंशन परिषद का गठन करना चाहिए जिस प्रकार से अलग-अलग यूनियन और परिषद बनी हुई है, ठीक उसी प्रकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन परिषद बने ताकि यह लोग भी अपने हक अधिकार और पेंशन के साथ राज्य से अन्य सुविधाओं की मांग को उठा सके। राज्य के सामाजिक सुरक्षा पेंशनधारी एक मंच पर आएं और उनके बीच में संवाद कायम हो।
पेंशन कानून के लिए लंबे समय से संघर्षरत प्रख्यात रंगकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह अपने कठपुतली और पेंशन के चार्ट के माध्यम से गांव बाजार और अलग-अलग प्लेटफार्म पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन को समझाते हैं। पेंशन परिषद के गठन की आवाज को बुलंद करते हुए कहते हैं कि अब यह जरूरी है कि ग्रामीण स्तर पर छोटे-छोटे समूह कमेटियां बनें और वह अपनी पेंशन परिषद की मांग की आवाज को बुलंद करे ताकि उसके माध्यम से पेंशन शिक्षा स्वास्थ्य आदि मुद्दों को भी उसके साथ मजबूती से उठाया जा सके। वह तभी संभव है जब वह खुद संगठित होकर अपना मंच तैयार करे।
इसलिए जरूरी है पेंशन परिषद
- समय-समय पर सरकार के द्वारा भी भौतिक रूप से सामाजिक सुरक्षा पेंशन लाभार्थियों का सर्वे होना चाहिए और उसकी रिपोर्ट सरकार के जन सूचना पोर्टल के माध्यम से सार्वजनिक होनी चाहिए।
- इस वर्ग के लिए सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता स्पष्ट हो ताकि कानून मजबूत बना रहे।
- पेंशन सत्यापन की तमाम प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाए ताकि लाभार्थी को निश्चित समय और दिनांक पर पेंशन का लाभ मिले।
- पेंशन के इंतजार में मर चुके लाभार्थियों को उनका बकाया पेंशन एरियर के साथ मिले, इसके लिए परिषद का गठन जरूरी है।
- ग्राम पंचायत स्तर पर सत्यापन हो, प्रमाण पत्र ऑनलाइन हो, ई-केवाईसी की जाए। इसके लिए जरूरी है।
- केवल वोट तक सीमित ना होकर सरकार को इस वर्ग के लिए समुचित पहचान और सम्मान के लिए भी जरूरी है।
- पेंशन परिषद का गठन इसलिए भी आवश्यक है कि केवल यह वर्ग पेंशन के साथ बुढ़ापे में सम्मानजनक आराम स्वास्थ्य देखरेख ओल्ड एज होम के साथ अन्य सुविधाएं के लिए भी सरकार के साथ संवाद करे।
- यह भी निश्चित है कि हर घर परिवार में एक उम्र के बाद व्यक्ति में बुढ़ापा आता है और उनकी संख्या भी आने वाले समय में बढ़ेगी जिसके लिए पूर्व से तैयारी करना बहुत जरूरी है।