–हरीराम जाट, नसीराबाद, अजमेर
प्रिय मतदाताओं! इस समय संपूर्ण भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया चल रही है जिसमें देश के कुल 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों से जनप्रतिनिधि चुने जाने हेतु भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा की जा रही है और प्रायः सभी उम्मीदवार मतदाताओं का मत पाने के लिए लोक-लुभावन घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं। मैं भी——- निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रत्याशी हूं किंतु संविधान समर्थक प्रत्याशी होने की वजह से कुछ इस तरह घोषणा करता हूं कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत देश के समस्त नागरिकों को यह मताधिकार प्राप्त है कि वे आगामी 5 वर्षों के लिए अपना जीवन-यापन, मान सम्मान एवं समस्याओं के समाधान के लिए मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह अवसर मतदाता को पूरे 5 वर्षों में एक बार ही मिलता है और इस समय आप एक मतदाता के रुप में इस अवसर का लाभ लेने में चूक करते हैं तो उसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती। आपकी जरूरतों की पूर्ति एवं सभी समस्याओं का समाधान एकमात्र भारत के संविधान में निहित है, जो इस प्रकार है- संविधान के भाग 3 में सभी नागरिकों के लिए मूल अधिकार, विभिन्न अनुच्छेदों में आवश्यक संवैधानिक अधिकार, भाग 4 में समस्त लोक कल्याणकारी कार्य एवं संपूर्ण संविधान में सभी समस्याओं का समुचित समाधान निहित है, विशेष कर-अनुच्छेद 38 (2), 39, 41 एवं 43 के सम्यक् पालन होने पर देश से गरीबी खत्म हो जाएगी, इसी तरह अनुच्छेद 15 से जातिवाद का बीज नाश होगा, अनुच्छेद 17 से अश्पृश्यता का अंत होगा, अनुच्छेद 15 (4) 16 (4) 16 (4अ) 16 (4ब) एवं 340 से पिछड़े वर्गो को उचित प्रतिनिधित्व की प्राप्ति होगी, अनुच्छेद 46 से दुर्बल वर्गों पर हो रहे एक तरफा सामाजिक अन्याय- अत्याचार एवं सभी प्रकार के शोषण से पूर्ण सुरक्षा मिलेगी, अंधविश्वास को जड़ से मिटाने के लिए अनुच्छेद 51क के खंड (ज), धर्मांधता मिटाने के लिए अनुच्छेद 25 और अशिक्षा दूर करने के लिए अनुच्छेद 21क में प्रावधान है जिसका समय सीमा में सम्यक् पालन होने मात्र से समाधान हो जाता है।
मैं यह भी घोषणा करता हूं कि यदि मैं आपके अमूल्य मतों से लोकसभा का स्थान भरे जाने हेतु निर्वाचित होता हूं तो एक जनप्रतिनिधि के रूप में समस्त नागरिकों के मूल अधिकारों एवं समस्त संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण, सभी लोक कल्याणकारी उपबंधों का क्रियांवयन एवं सभी समस्याओं का विधिवत्त समाधान अपनी पूरी योग्यता एवं क्षमता से करता रहूंगा। मेरा यह भी प्रयास होगा कि यह कार्य अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में अक्षरशः पूर्ण हो सके। वैसे भी देश के सभी जनप्रतिनिधि (पंच से लेकर प्रधानमंत्री तक) शपथ या प्रतिज्ञान करने के कारण समस्त शासकीय सेवक (ग्राम कोटवार से उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तक) संविधान के अनुच्छेद 375 के अनुसार तथा देश के समस्त नागरिक संविधान के अनुच्छेद-51क के निर्देशानुसार संविधान का पालन करने के लिए बाध्य हैं। जब तक कोई व्यक्ति संविधान के प्रति अनिष्ठा न रखे तब तक वह संविधान का पालन करने से विमुख नहीं हो सकता।
चूंकि सभी समस्याओं का समाधान संविधान में ही प्रारंभ से निहित है अतः मैं अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत अक्षरशः संविधान पालन कराने का प्रयास करूंगा। वैसे भी देश के समस्त जनप्रतिनिधि शासकीय सेवक एवं नागरिक संविधान के किसी भी उपबंधों के बाहर नहीं जा सकते और न ही अपने संवैधानिक कर्तव्यों से विमुख हो सकते हैं किंतु यह देखा जाता है कि संविधान की पर्याप्त जानकारी के अभाव में कोई भी व्यक्ति संविधान का लगातार उल्लंघन करता रहता है उसकी कहीं कोई शिकायत ही नहीं होती और न ही वह संविधान उल्लंघन के लिए किसी न्यायालय से दंडित किया जाता है।
मैं अपने इस घोषणा पत्र के समर्थन में अपना शपथ पत्र भी पेश करता हूं ताकि मैं कभी उक्त घोषणा से विमुख होता हूं, तो मुझे न्यायालय से विधि अनुसार दंडित भी किया जा सके।