17.6 C
Jaipur
Monday, March 20, 2023
Homeविविधमनोरंजनखूबसूरत आवाजों का सुंदर त्योहार यानी "द रेडियो फेस्टिवल"

खूबसूरत आवाजों का सुंदर त्योहार यानी “द रेडियो फेस्टिवल”

 

-अनीस आर खान, दिल्ली

रेडियो वर्षों से संचार के लिए सबसे लोकप्रिय और सुलभ मंच रहा है। आधुनिक तकनीक ने इसे किसी भी तरह से नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं किया, बल्कि  इंटरनेट और मोबाइल के रूप में आधुनिक तकनीक ने रेडियो सुनना और भी आसान बना दिया है। एक अरब इकतालीस करोड़ से अधिक आबादी वाले भारत में रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यही कारण है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात करने के लिए इसी माध्यम को चुनते हैं.

दिल्ली स्थित स्मार्ट एनजीओ 2018 से विश्व रेडियो दिवस (13 फरवरी) के अवसर पर वर्ष में एक बार “रेडियो फेस्टिवल” का आयोजन करता है, जिसमें देश भर के रेडियो स्टेशनों को न केवल उत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है, बल्कि वे कला और कौशल का प्रदर्शन भी करते हैं और फेस्टिवल के अगले दिन आयोजित कार्यशाला का हिस्सा बन कर पूर्ण और बेहतर कौशल के साथ वापस जाते हैं।”रेडियो फेस्टिवल” के अवसर पर रेडियो के क्षेत्र में काम करने वाले या काम करने के इच्छुक युवाओं के लिए स्मार्ट एनजीओ फैलोशिप भी देता है। यही कारण है कि रेडियो से संबंधित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले युवा, छात्र, छात्राएं, आरजे और अन्य लोग उस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। “रेडियो फेस्टिवल” अपनी तरह का पहला और अनोखा स्टेज है. जो अपने प्रतिभागियों को प्रेरक बातचीत में शामिल होने, नवीन विचारों का आदान-प्रदान करने और कई रोमांचक गतिविधियों, को सीखने और सिखाने वालों को एक अनूठा और महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

 “रेडियो फेस्टिवल” की आयोजक अर्चना कपूर ने हंसते हुए कहा कि “ जब मैंने पहली बार रेडियो फेस्टिवल शुरू करने का विचार अपने दोस्तों को बताया तो उनके मन में कई चिंताएं थीं कि रेडियो ही क्यों? ऑडियो क्यों नहीं? पॉडकास्ट क्यों नहीं?  रेडियो को जनता का समर्थन कैसे मिलेगा? युवा इससे नहीं जुड़ेंगे। ये कुछ संबंधित चिंताएँ थीं जो उत्पन्न हुईं। लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास था कि मीडिया के पहले बेतार माध्यम को एक उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए। जब इसकी शुरुआत हुई तो देश भर से लोग जुड़ने लगे। पहली बार इस फेस्टिवल की शुरुआत साल 2018 में यूनेस्को के सहयोग और दोस्तों के भरोसे से की गई थी।” यह रेडियो फेस्टिवल आज़ाद चर्चा, सकारात्मक बहस और नए विचारों को प्रोत्साहित करता है। यह वह स्थान है जहां हम देश और राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी चिंतन मनन करते हैं। प्रसारण के पारंपरिक माध्यम को नई तकनीक के साथ नया रूप देने और सुशोभित करने की आवश्यकता है। रेडियो आज भी घरों, गाँवों, चलते-फिरते लोगों, खेतों, ईंट भट्ठों, कारखानों में काम करने वाले लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय माध्यम है।

 रेडियो फेस्टिवल के एक कार्यक्रम में यूनेस्को के निदेशक एरिक फाल्ट ने रेडियो के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “इतनी व्यापक पहुंच के साथ, रेडियो पर आज समाज के सभी वर्गों से समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है।” एक अन्य कार्यक्रम में मीडिया माध्यम के भविष्य पर भी चर्चा की गयी। रेडियो एफएम की निदेशक निशा नारायणन ने कहा “मुझे लगता है कि आपको समय के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। अगर आप अच्छा कंटेंट बना रहे हैं तो लोग आपकी बात जरूर सुनेंगे। रेडियो 90 वर्षों से जीवित है।”

मास मीडिया के किसी भी अन्य माध्यम के विपरीत, रेडियो हमारे देश की विविधता और बहुलवाद को दर्शाता है। लगभग 372 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ 500 निजी वाणिज्यिक रेडियो स्टेशन और 400 से अधिक अखिल भारतीय रेडियो स्टेशन विभिन्न भाषाओं और बोलियों में अपने कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। भारतीय बाजार अनुसंधान फर्म नीलसन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार यह सोशल नेटवर्किंग में दूसरा सबसे सुलभ मीडिया प्लेटफॉर्म है। यह केवल टेलीविजन से पीछे है। रिपोर्ट के अनुसार 26 से 45 साल के युवाओं में रेडियो सबसे प्रभावी विज्ञापन का माध्यम है और कुल मिलाकर सबसे भरोसेमंद माध्यम है।

पिछले कई वर्षों से शान के साथ आयोजित होने वाला यह “द रेडियो फेस्टिवल” अपने छठे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। रेडियो उत्सव में देश भर से यहां तक कि विदेशों से भी स्वरों का मिश्रण होता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रसिद्ध रेडियो आरजे, शीर्ष पॉडकास्टर, अनुभवी प्रोग्रामर, प्रतिभाशाली संगीतकारों, देश भर के सामुदायिक रेडियो संचालकों, कवियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, विश्वविद्यालय और कॉलेज के छात्रों और शिक्षकों को हर साल इस में भाग लेते हुए देखा जा सकता है।

Bharat Update
Bharat Update
भारत अपडेट डॉट कॉम एक हिंदी स्वतंत्र पोर्टल है, जिसे शुरू करने के पीछे हमारा यही मक़सद है कि हम प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी परोस सकें। हम कोई बड़े मीडिया घराने नहीं हैं बल्कि हम तो सीमित संसाधनों के साथ पत्रकारिता करने वाले हैं। कौन नहीं जानता कि सत्य और मौलिकता संसाधनों की मोहताज नहीं होती। हमारी भी यही ताक़त है। हमारे पास ग्राउंड रिपोर्ट्स हैं, हमारे पास सत्य है, हमारे पास वो पत्रकारिता है, जो इसे ओरों से विशिष्ट बनाने का माद्दा रखती है।
RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments