भारत अपडेट, जयपुर। गृहमंत्री अमित शाह की ओर से डॉ. भीमराव आंबेडकर पर की गई टिप्पणी के विरोध में भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान की ओर से राजस्थान के 23 जिलों और 9 ब्लॉक में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर और उपखंड अधिकारियों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन देकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को तत्काल पद से बर्खास्त करने की मांग की गई है।
भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान की ओर से दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि संसद के पवित्र सदन में माननीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के संदर्भ में दिया यह बयान न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि यह भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर के प्रति गंभीर अनादर और समाज के वंचित वर्गों के प्रति अपमान को दर्शाता है। देश भर में लोकतंत्र और संविधान में आस्था रखने वाले हम भारत के लोग गृह मंत्री के इस आपत्तिजनक बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए गृह मंत्री से मांग करते है कि वे डॉ. आंबेडकर पर दिए गए इस बयान पर सार्वजनिक माफी मांगे और अपने पद से इस्तीफा दे।
उल्लेखनीय है कि 17 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में संविधान की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बहस में भाग लेते हुए संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पर अपमानजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा-‘”यह फैशन हो गया है, आंबेडकर, आंबेडकर.. इतना नाम अगर भगवान का लेते हैं तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता है।“ उनके इसी बयान को लेकर भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन दिया गया है।
भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान का मानना है कि डॉ. आंबेडकर न केवल एक महापुरुष हैं बल्कि उनके विचार और कार्य भारतीय समाज की आत्मा हैं। उनका योगदान केवल वंचित वर्ग के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए समर्पित है। संसद के पवित्र मंच से ऐसे बयान देकर न केवल डॉ. आंबेडकर का अपमान किया गया है, बल्कि संविधान और उसमें निहित समानत, गरिमा और अधिकारों की भावना को भी ठेस पहुंचाई गई है।
भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का यह बयान संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हैः–
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य‘ घोषित किया गया है, जिसमें सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुता का वादा किया गया है। ऐसे बयान इन मूल्यों के खिलाफ हैं।
- अनुच्छेद 51ए (ई): यह सभी नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है कि वे भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान करें और उसे बनाए रखें। डॉ. आंबेडकर इस विरासत के प्रमुख स्तंभ हैं।
- संसद जैसे संवैधानिक मंच से दिए गए बयान अनुच्छेद 19(2) के तहत सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता‘का उल्लंघन करते हैं।
- यह बयान अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 संशोधित अधिनियम 2015 की धारा 3 (प)(फ) का भी उल्लंघन है।
- यह बयान भारतीय न्यास संहिता (बीएनएस) की धारा 196 और 299 के तहत सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के समान भी देखा जा सकता है।
भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मांग की है किः
- माननीय गृह मंत्री अमित शाह को इस अपमानजनक टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए निर्देशित किया जाए।
- यदि माफी नहीं मांगी जाती है, तो उन्हें उनके पद से तुरंत हटाया जाए, क्योंकि ऐसे बयान उनके पद की गरिमा और जिम्मेदारियों के विपरीत हैं।
- डॉ. आंबेडकर का सम्मान करना केवल एक समुदाय का दायित्व नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय का कर्तव्य है। ऐसे बयान समाज में विभाजन और असंतोष को बढ़ावा देते हैं और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक हैं।