टीम भारत अपडेट। केंद्र सरकार द्वारा एक जनवरी 2023 से मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति ऑनलाइन कर दी गई है। इसके लिए एनएमएएस एप्प लाया गया है। इस एप्प के जरीये ही मनरेगा श्रमिकों की ऑनलाइन हाजिरी ली जा रही है। यदि इंटरनेट नेटवर्क या अन्य किसी कारण से हाजिरी नहीं हो पाती है तो मजदूरों को उस दिन की मजदूरी का भुगतान नहीं मिलता है। इस प्रकार मनरेगा मजदूरों से काम करवा लेना और उन्हें मजदूरी नहीं देना केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों से बंधुआ मजदूरी कराना है। नरेगा संघर्ष मोर्चा और सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से प्रधानमंत्री को दिए गए ज्ञापन में यह बात कही गई है।
ज्ञापन में कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं जिनमें यह देखने में आया है कि मजदूरों ने 13 दिन काम किया है लेकिन एप्प में उनकी केवल 10 या 7 दिन की ही ऑनलाइन हाजिरी हो सकी है जिससे उनका भुगतान भी 10 या 7 दिन का ही केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि एनएमएएस एप्प से ग्रामीण विकास विभाग भ्रष्टाचार रोकने का दावा कर रहा है लेकिन उस दावे में कोई सच्चाई नहीं है बल्कि यह एप्प मजदूरों को मजदूरी से वंचित कर रहा है। कई जगहों पर आज भी इंटरनेट की कनेक्टिविटी नहीं है। इसी के साथ मोबाइल भी एक विशेष स्पेसिफिकेशन का होना चाहिए होता है जो गरीब परिवारों के पास नहीं होता है। कई स्थानों पर मजदूरों की हाजिरी नहीं होने पर उन्हें कार्यस्थल से वापस लौटा दिया जाता है जिससे उनके कई घंटे खराब हो जाते हैं।
कम बजट आवंटित कर मनरेगा को खत्म किया जा रहा हैः- ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार में आगामी वर्ष के लिए पेश किये गए बजट में मनरेगा में केवल 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जो बहुत ही कम है। हर वर्ष केंद्र सरकार द्वारा कम बजट आवंटित करके मनरेगा को खत्म किया जा रहा है।
सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था मजबूत की जाएः- अभियान की ओर से मांग की गई है कि राज्य में नियमित सामाजिक अंकेक्षण हो जिससे कानून के क्रियांवयन में सुधार हो। अभियान का मानना है कि यदि वास्तव में सुधार लाना है तो सामजिक अंकेक्षण को और अधिक मजबूत किया जाए।