–हरीराम जाट ‘मानव‘
भोजन का अधिकार एक मूलभूत (मौलिक) मानव अधिकार है, जो हर व्यक्ति को सुनिश्चित करने का अधिकार है कि उन्हें पर्याप्त और पौष्टिक भोजन प्राप्त हो। यह अधिकार संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार सम्मेलन में शामिल है और विभिन्न देशों के संविधानों में भी इसका उल्लेख है। भोजन का अधिकार संबंधित अनुच्छेद इस प्रकार हैंः
भारत का संविधान में भोजन का अधिकारः
- अनुच्छेद 21: जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, जिसमें भोजन का अधिकार भी शामिल है।
- अनुच्छेद 39(ए):राज्य का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को जीवन के लिए आवश्यक साधन प्रदान करे, जिसमें भोजन भी शामिल है।
- अनुच्छेद 47: राज्य का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को स्वास्थ्य और पोषण के लिए आवश्यक साधन प्रदान करे।
मानव अधिकार सम्मेलन में भोजन का अधिकारः
- अनुच्छेद 39: हर व्यक्ति को जीवन के लिए आवश्यक भोजन, कपड़े, आवास और चिकित्सा का अधिकार है।
- अनुच्छेद 21: हर व्यक्ति को भोजन का अधिकार है, जिसमें पर्याप्त और पौष्टिक भोजन शामिल है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013:
- धारा 3: हर व्यक्ति को भोजन का अधिकार है, जिसमें पर्याप्त और पौष्टिक भोजन शामिल है।
- धारा 4: राज्य का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को सस्ता और पौष्टिक भोजन प्रदान करे।
- इन अनुच्छेदों और अधिनियमों के माध्यम से, भारत में भोजन का अधिकार एक मूलभूत मानव अधिकार माना जाता है।
भोजन के अधिकार के मुख्य बिंदुः
- पर्याप्त भोजनः हर व्यक्ति को पर्याप्त भोजन प्राप्त करने का अधिकार है।
- पौष्टिक भोजनः भोजन में पौष्टिक तत्व होने चाहिए ताकि व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहे।
- भोजन की सुरक्षाः भोजन सुरक्षित और स्वच्छ होना चाहिए।
- भोजन की पहुंचः भोजन तक हर व्यक्ति की पहुंच होनी चाहिए।
- भोजन की गुणवत्ताः भोजन की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए।
भारत में भोजन का अधिकारः
भारत में भोजन का अधिकार, भारत का संविधान के भाग-3, मौलिक अधिकार, अनुच्छेद 21 में शामिल है, जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, भारत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 भी है, जो गरीब और वंचित वर्गों को सस्ता और पौष्टिक भोजन प्रदान करने का प्रावधान करता है।