टीम भारत अपडेट। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने राजस्थान सरकार द्वारा महात्मा गांधी पुस्तकालय और संविधान केंद्र की स्थापना के निर्णय को वापिस लिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बतलाया है। सरकार से मांग की है कि वह देश तथा जनहित की इस योजना को तुरंत लागू किया जाए।
पीयूसीएल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि आज की दुनिया को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण बनाने के लिए महात्मा गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचने की आवश्यकता है। पिछली सरकार द्वारा पंचायत स्तर पर महात्मा गांधी के नाम से पुस्तकालय का निर्माण इस दिशा में एक सार्थक कदम था। इससे न केवल शिक्षा बल्कि संविधान के प्रति भी जागरूकता उत्पन्न होती। सरकार को इस योजना को लागू ही नहीं करना बल्कि इसके बजट में वृद्धि करनी चाहिए थी।
पीयूसीएल ने कहा कि एक ओर तो केंद्र सरकार नालंदा विश्विद्यालय की स्थापना का श्रेय लेकर ज्ञान के विस्तार के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त कर रही है वहीं भाजपा शासित राजस्थान सरकार पुस्तकालय बंद कर आम लोगों को ज्ञान से दूर रखने का प्रतिगामी कार्य कर रही है। यह भी आश्चर्यजनक है जिस संविधान की शपथ लेकर सरकार कार्य कर रही है, उसी के मूल्यों का प्रसार करने की दृष्टि से बनाए संविधान केंद्र को भी बंद किया जा रहा है। सामाजिक विषमता को कम करने और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करने के लिए संविधान का प्रचार प्रसार अति आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि पिछली अशोक गहलोत सरकार ने महात्मा गांधी पुस्तकालय और संविधान केंद्रों के लिए 11 करोड़ स्वीकृत किए थे। इसके द्वारा 2500 महात्मा गांधी पुस्तकालय और संविधान केंद्रों में पाठ्य-पुस्तकों समाचार पत्र, पत्रिका उपलब्ध कराई जाती।
पुस्तकालय और संविधान केंद्र पंचायत और शहरों के वार्ड में खोले जाने थे। पाठकों को अध्ययन के लिए पुस्तक निशुल्क उपलब्ध होती तथा महात्मा गांधी इन केंद्र में पानी बिजली जैसी मूल को सुविधाएं भी विकसित होना था। इस योजना के लिए 50000 सेवा प्रेरक की भर्ती की जानी थी, जिसकी प्रक्रिया आचार संहिता लगने से पूर्व लगभग पूर्ण हो चुकी थी। सेवा प्रेरकों को प्रतिमाह 6000 मानदेय मिलना था। इस प्रकार योजना निरस्त होने से 50000 युवाओं को रोजगार मिलने का रास्ता भी बंद हो गया है।
पीयूसीएल सरकार से आग्रह करती है कि वह राजनैतिक द्वेषवश अशोक गहलोत सरकार द्वारा बनाई गई जनहित की योजनाओं को बंद करने की गलती न करे। सरकार को जनता के हित सर्वोपरि मानकर कार्य करना चाहिए।
पीयूसीएल ने राजस्थान सरकार को आग्रह किया है कि अपने जल्दबाजी में लिए गए निर्णय को अविलंब रूप से निरस्त करे और महात्मा गांधी पुस्तकालय और संविधान केंद्र को और अधिक सशक्त व सुदृढ़ बनाए।