-एड. आराधना भार्गव
बजट सत्र के शुरू होने के पूर्व राष्ट्रपति मुर्मू का अभिभाषण आश्चर्य चकित लगा। उन्होंने मुस्लिम महिलाओें के तीन तलाक की प्रथा खत्म करने जैसे फैसले को बड़ा फैसला तथा देश में स्थिति, निडर बड़े सपनों के लिए काम करने वाली सरकार बताया। जबकि मुस्लिम महिलाओं की दशा और दिशा बदलने के लिए न्याय मूर्ती (सेवा निर्वत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने अपने रिपोर्ट में संकेत दिया है की सरकार ने मुसलमानों सहित अल्पसंख्यक लड़कियों के शैक्षणिक विकास के लिए पहल की थी जिसमें अल्पसंख्यक मामले के मंत्रालय की सभी छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत आधारित प्री-मेट्रिक, पोस्ट-मेट्रिक, मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति, 30 प्रतिशत छात्रवृत्ति छात्राओं के लिए निर्धारित की जाती है। मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप योजना के तहत 30 प्रतिशत फेलोशिप महिला विद्वानों के लिए निर्धारित है। निःशुल्क कोचिंग एवं समृद्ध योजना के तहत कोचिंग/प्रशिक्षण के लिए स्वीकृत संख्या का 30 प्रतिशत छात्राओं/उम्मीदवारों के लिए निर्धारित किया जाता है। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित मेधावी छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति योजना लागू है। अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के लिए शिक्षा को सुविधा जनक बनाने और के लिए, और बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के तहत कक्षा नौवीं की पात्र अल्पसंख्यक छात्रों को मुफ्त साइकिल दी जाएगी। अल्पसंख्यक युवाओं के विभिन्न आधुनिक/परंपरागत व्यवसायों में कौशल उनन्यन तथा रोजगार/नौकरी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें बाजार से जोड़ने के लिए सीखो और कमाओ योजना के तहत अल्पसंख्यक लड़कियों न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें निर्धारित की। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री ने नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम, के तहत अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र में 2006-07 से 555 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय स्वीकृत किए।
ये सब सुविधाएं मिलने के पश्चात भी आखिर सरकार के पास मुस्लिम महिलाओं के लिए गरीब का स्तर अलग से उपलब्ध क्यों नहीं है? राष्ट्रपति महोदया अगर अपने अभिभाषण में सच्चर आयोग की रिपोर्ट पर सवाल उठातीं तो मुझे लगता वे देश की अल्पसंख्यक मुस्लिम महिलाओं की हितेशी हैं। तीन तलाक का कानून बनाकर सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को खजूर से गिरा और आम पर लटका की कथा को चरितार्थ कर दिखाया। शिकायत पर पति जेल तो चला गया पर उस महिला को विधिवत तरीके से न तो तलाक मिल पाया, ना ही उसके भरण पोषण तथा नाबालिक बच्चे के भरण पोषण का अधिकार सरकार ने तीन तलाक के कानून में महिला तथा बच्चों के भरण पोषण की कोई व्यवस्था तो नहीं की किंतु मुसलमान को जेल में भेजने का इंतजाम अवश्य कर दिया। (लेखिका सामाजिक कार्यकर्ता हैं)