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Saturday, July 27, 2024
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हम जिंदा हैं, फिर क्यों हमें मृत घोषित कर हमारी पेंशन बंद कर दी?

प्रसन्नजीत जवाजा (लेखक सामाजिक सुरक्षा पेंशन अभियान राजस्थान से जुड़े हैं)

2023 में जन संगठनों के संघर्ष के बदौलत तत्कालीन राज्य सरकार ने राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा कानून लागू किया था। राजस्थान में लगभग एक करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून के दायरे में आते हैं। पर 12 लाख से अधिक पेंशन लाभार्थी वेरिफिकेशन ना होने के कारण पेंशन से वंचित है। पेंशन के इंतजार में कहीं लाभार्थियों की मृत्यु हो चुकी है तो कहीं जीवित लाभार्थियों को ही मृत घोषित कर तो कहीं महिला को पुरुष व पुरुष को महिला बताकर पेंशन बंद कर दी गई है।

राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा शुरू की गई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, जो वर्ष 2023 में अब एक अधिनियम बन चुका है। वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों को, मुख्य रूप से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से, जिनकी वार्षिक आय 48,000 रुपए से कम है, लाभान्वित करने के लिए कानून की गारंटी बनी। इसमें यह प्रावधान था कि प्रतिवर्ष पेंशन में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में राजस्थान सरकार लाभार्थियों को पेंशन के 1150 रुपए दे रही है।

राजस्थान राज्य के अरावली पहाड़ियों से घिरा हुआ जवाजा ब्लॉक जो कि नए जिले ब्यावर में आता है। जब ब्यावर नया जिला बना तो उस समय जनसंघर्षों के आयाम में एक नया अध्याय जुड़ा जिसको सामाजिक सुरक्षा कानून का नाम दिया गया। वह भी इसी वर्ष बना और उसके तहत गरीब वंचित पीड़ित और अंतिम पंक्ति में जो व्यक्ति है जो बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग, तलाकशुदा, एकल नारी या विशेष जनयोग्य हैं, उनके बुढ़ापे के आराम के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून की बुनियाद को शुरू किया गया। 2023 के मध्य में ही यह तय हुआ कि अब इस वर्ग के लोगों को हर महीने 1000 पेंशन दी जाएगी। यह राजस्थान सरकार का बहुत महत्वपूर्ण कदम था।

जनवरी 2024 में राजस्थान में नई सरकार का गठन हुआ और सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर नए नियमों की शुरुआत हुई जिसमें जनआधार कार्ड को आधार कार्ड बेस मानकर ई-केवाईसी करवाना और उसी के आधार पर वर्ष में एक बार स्वयं को पेंशन के लिए सत्यापन करवाना जरूरी किया गया।

जवाजा पंचायत समिति में 46 ग्राम पंचायत आती है। जवाजा ब्लॉक में 29000 से अधिक पेंशन लाभार्थी है जिसमें से वर्तमान समय में 5000 से अधिक लोग नॉन वेरीफाइड है और पूरे राज्य में लगभग 18 लाख लोग अभी भी नॉन वेरीफाइड है। ग्रामीण क्षेत्र में जब लोगों ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने के लिए स्वयं को सत्यापन करवाना शुरू किया तो उनके सामने एक बहुत बड़ी चुनौती आ गई। वे स्वयं जीवित थे लेकिन पेंशन पोर्टल पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। वे अपने गांव में रह रहे थे लेकिन उन्हें आउट ऑफ स्टेट बता कर पेंशन बंद कर दी गई। महिला को पुरुष बना दिया, पुरुष को महिला। उम्र को आधार बनाकर कहा गया कि आपके जन आधार कार्ड में जो उम्र है, वह आधार कार्ड से मिल नहीं कर रही है। इसलिए आपका फॉर्म रद्द किया जाता है। आप सत्यापित नहीं हो।

सुगना, भरर्दी, बदामी, कमला जैसी सैकड़ांे महिलाएं और पुरुष हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र में अपनी पेंशन का इंतजार कर रहे हैं। वे अपने आप को जीवित बताने, गांव में निवास होना बताने के लिए और यह कहने के लिए कि हमारा अंगूठा हाजिरी निशानी आंखों की पुतलियां कमजोर होने और शारीरिक अक्षमताओं के कारण हम बार-बार ब्लॉक कार्यालय, उपखंड कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय पर चक्कर नहीं लगा सकते। हम जिंदा हैं और हम अपने गांव में ही रह रहे हैं,  हमें समय पर पेंशन मिलना चाहिए ताकि बुढ़ापे में किसी की आस ना हो। हम अपना गुजर बसर कर सके। नरबदखेड़ा गांव की विधवा रुकमा देवी जिसकी पेंशन पोर्टल पर प्रतापगढ़ जिले की महिला के साथ डाटा सीडिंग कर दिया गया। अब उसकी पेंशन किसी और महिला के खाते में जा रही है। दाना का थान गांव की विधवा मूम्मी देवी को मार्च 2024 में सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिली। मई माह में पेंशन लेने गई तो बताया कि मई 2024 में उनकी मृत्यु हो गई , इसलिए उनकी पेंशन बंद है। 18 फरवरी 2024 को 1 साल से अधिक के बाद मोबाइल ओटीपी के माध्यम से आसान ग्राम पंचायत की मीरा देवी का सत्यापन हुआ और 27 फरवरी 2024 को उसकी मृत्यु हो गई। पेंशन की आस में जिंदगी चली गई।

कमोबेश यही हालत पूरे राज्य में है। पूरे राज्य में लगभग एक करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन दायरे में आते हैं। सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून जो बुढ़ापे में सम्मानजनक आराम के लिए लाया गया है। अतः संवैधानिक रूप से यह राज्य सरकार का दायित्व है कि वह उस वर्ग के लोगों के लिए बुढ़ापे के आराम के लिए उन्हें पेंशन दे। जवाजा ब्लॉक में गांव से अधिकतर परिवार रोजी-रोटी के लिए अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। अतः एक पेंशन ही है जिससे उनका गुजारा चलता है और यही उनकी बुनियादी मांग भी है।

केली देवी पत्नी गणेश सिंह गांव बियाखेड़ा ग्राम पंचायत काबरा की रहने वाली थी। उनकी विधवा पेंशन पिछले 1 साल से चूरू जिले के किसी गांव में किसी अन्य महिला के खाते में जा रही है। केली देवी उसे सही करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाती रही। यहां तक की चूरू जाकर भी मन्नतें की कि मेरी पेंशन को सही किया जाए ताकि मुझे उसका लाभ मिले। पर शासन-प्रशासन ने उनकी सुनवाई नहीं की। केली देवी अपनी पेंशन के लिए चक्कर लगाती रही। उन्हें पेंशन नहीं मिल पाई। 5 मार्च 2024 को उनका देहांत हो गया।

60 साल के घीसा सिंह पुत्र भवाना सिंह गांव देवखेड़ा, ग्राम पंचायत सुरडीया के रहने वाले हैं। घीसा सिंह की दिसंबर 2022 से पेंशन बंद है। पेंशन पोर्टल पर इन्हें आउट ऑफ स्टेट और पुरुष से महिला बताकर पेंशन बंद कर दी गई है। अब जब तक यह सही नहीं होता है तब तक उन्हें पेंशन से वंचित रहना पड़ेगा।

 

गुड़िया पुत्री पूनम सिंह, गांव नरसिंहपुरा, ब्यावर पूर्णतया दिव्यांग है। फिंगरप्रिंट नहीं आने और आधार कार्ड लॉक होने के कारण इनका वेरिफिकेशन नहीं हो पा रहा है। इनकी लंबे समय से पेंशन बकाया है।

 

सामाजिक सुरक्षा पेंशन कानून और चुनौतियां

  • फिंगरप्रिंट और आंखों के द्वारा पेंशन वेरिफिकेशन नहीं होना।
  • सामाजिक सुरक्षा पेंशन पोर्टल पर जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर देना।
  • पेंशन लाभार्थी को आउट ऑफ स्टेट, गलत आधार सीडिंग, कैंसिलेशन फॉर्म, उम्र का मिलान ना होना बताकर पेंशन बंद कर देना।
  • कमजोर नेटवर्क और इंटरनेट की कमी के कारण राज्य सरकार के राज एसएसपी मोबाइल एप के माध्यम से वेरिफिकेशन होने में असुविधा।
  • लाभार्थी की पेंशन किसी अन्य के खाते में जाना। गलत पेंशन पीपीओ नंबर के साथ डेटा का जुड़ा होना।
  • कुछ केसो में दिसंबर 2022 से अब तक अपनी पेंशन का इंतजार करना।
  • फिंगरप्रिंट नहीं आने के कारण आधार अपडेट नहीं होना जिससे ई-केवाईसी में समस्या आ रही है।
  • अत्यधिक बुजुर्ग लाभार्थी जिनकी उम्र में अंतर आने के कारण अपने कागजों को अपडेट करवाने के लिए उनके पास किसी प्रकार का सरकारी कागज ना होना।

सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर आमजन और जन संगठन क्या चाहते हैं?

  • पिछले 2 साल से जो पेंशन बाकी है, उन लाभार्थियों का तुरंत प्रभाव से वेरिफिकेशन कर पेंशन और उनका एरिया दिया जाना।
  • सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए सरकार प्रशासनिक कार्मिकों की जवाबदेही और पारदर्शिता तय होना।
  • सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से एक्शन प्लान बनाकर लाभार्थियों को राहत पहुंचाने के लिए ग्राम पंचायत में सामाजिक सुरक्षा पेंशन वेरिफिकेशन कैंप लगाना।
  • पेंशन की आस में जो लाभार्थी मर चुके हैं, उनकी बकाया पेंशन एरियर सहित देना।
  • नियम अनुसार पेंशन राशि जो कि उम्र के आधार पर होती है। वह हर महीने की एक निश्चित दिनांक को खाते में सरकार द्वारा ट्रांसफर करना।
  • राज्य सरकार की न्यूनतम मजदूरी और महंगाई को पेंशन के अनुरूप देखते हुए कम से कम न्यूनतम मजदूरी की आधी पेंशन लागू करना।
  • पेंशन वेरिफिकेशन को सरल बनाते हुए अधिक से अधिक डिजिटल माध्यम का उपयोग करना और राज एसएसपी एप को और अधिक तकनीकी तौर पर मजबूत करना ताकि ग्रामीण क्षेत्र में अधिक से अधिक पेंशन लाभार्थियों का सत्यापन आसानी से कम समय में किया जा सके।

 

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