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Tuesday, November 11, 2025
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मैं अंधेरों में मशालें जलाऊंगा

मुनेश त्यागी

 मैं आधा हिंदू हूं
आधा मुसलमान हूं,
कोई माने ना माने
मैं पूरा हिंदुस्तान हूं।

वो नफरतें बोता है
दुश्मनी उगाता है,
मैं मोहब्बतें बोता हूं
भाईचारा उगाता हूं।

वो नफरतों का जहर घोलते हैं
मैं मोहब्बतों की फसलें उगता हूं,
वो जहानों में जहर भरते हैं
मैं भाईचारे की नस्लें उगाता हूं।

छुप जाने दो अब तो सूरज को
मैं रातों में ही मशालें जलाऊंगा,
सूरज की फितरत है छुप जाने की
मेरी भी आदत है मशालें जलाने की।

घनघोर अंधेरा हुआ तो क्या हुआ
सूरज और मैं आते ही रहेंगे,
वो जालिम हुए तो कोई बात नहीं
हम बनकर साथी आते ही रहेंगे।

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